अमावस तो कब की जा चुकी थी, लेकिन इस बार चाँद हमारे शहर में अभी भी आँख मिचौली खेल रहा था,
कभी कभी बस थोड़ी सी झलक दिखला,
ज़्यादातर बादलों के पीछे ही छुप कर रह रहा था…
लेकिन कल शायद ”राम” आने की ख़ुशी में चाँद भी अपने आपको रोक नहीं पाया,
बादलों को परे धकेल कर शाम होते ही वो पूरा खिलकर निकल के बाहर आया..
मैंने चाँद से कहा, “जनवरी के महीने में हम पहली बार दीपावली मना रहे हैं, ज़रा ये तो बताओ ऊपर आसमान से मेरा देश तुम्हें कैसा दिखाई दे रहा है?
चाँद मुस्कुराते हुए बोला, “ये तेरा मेरा क्या होता है?
मुझे तो मेरी चाँदनी के तले किसी भी तरह का जश्न मनाता हूआ हर देश बेहद प्यारा लगता है…
तुम लोगों के साथ कुछ पल बिताकर मेरा भी दिल सुकून से भर रहा है”
वो आगे बोला,
“और मेरी छोड़ो, तुम अपनी सुनाओ..
क्योंकि चीज़ों को समझने में देर तो तुम्हें लगती है,
इसलिए अब तुम मुझे पहले बताओ कि ये रामराज्य की बातें तुमसे आकर क्या क्या कहती है?”
मैंने चौंक कर पूछा, “मतलब?”
चाँद बोला, “मतलब कि राम राज्य का कौन सा किरदार तुम्हारे मन को भाता है ?
कौन अपने व्यक्तित्व से तुम्हें हमेशा प्रेरणा देकर जाता है..”
मैंने तुरंत अपनी पलकें झुकाई और बोली, “ राम राज्य तो वो है जो एक छोटी सी “गिलहरी” को भी आम से ख़ास बना देता है,
करोड़ों लोगों के सामने, विश्व के सबसे प्रभावी राजनेता के मुख से उसके छोटे से निश्छल प्रयास को भी एक उचित सम्मान दिलवा देता है”
मेरा जवाब सुनकर चाँद खिलखिलाकर हंस पड़ा, बोला, “लाख प्रयत्न कर चुका हूँ लेकिन मैं तुम्हें नहीं सुधार पाया,
इतनी बड़ी रामायण में तुम्हें सिर्फ़ उस गिलहरी का किरदार ही नज़र आया…
मुझे तुमसे इस जवाब की बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी,
लेकिन सच कहूं तो भले ही थोड़ा सा अलग था पर मुझे ये अंदाज़ बहुत पसंद आया..
चलो इसी बात पर आज मैं तुम्हें एक आशीर्वाद देता हूँ , “तुम्हारी विनम्रता, तुम्हारा विश्वास, तुम्हारा समर्पण वक़्त के साथ और ज़्यादा बढे ..
किया हुआ हर छोटे से छोटा प्रयास भी अपनी मंज़िल की सीढ़ी चढ़े.. “
प्रिय बंधुओं !!
ये बातचीत तो सिर्फ़ एक प्रतीक है, दुआ करती हूँ इस राम राज्य में हमारी विनम्रता, हमारा विश्वास, हमारा समर्पण दिन प्रतिदिन थोड़ा और बढ़े ..
Seema K Bafna,
Author and practicing numerology