World antimicrobial awareness week: आधुनिक समय में बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए दी जाने वाली दवाओं का असर काफी कम होता जा रहा है। इस स्थिति को माइक्रोबियल प्रतिरोध कहा जाता है। WHO के अनुसार, एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं। इस स्थिति में, एंटी-माइक्रोबियल दवाओं (Antimicrobial Medicines) (एएमआर) का बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जिससे संक्रमण का इलाज करना अधिक कठिन हो जाता है और रोग की संभावना और गंभीरता काफी बढ़ जाती है। शोध के मुताबिक, बैक्टीरिया में एएमआर के कारण 2019 में करीब 12.7 लाख लोगों की मौत हुई। ऐसे में एंटीबायोटिक्स के बारे में जानना और जागरूक होना बेहद जरूरी है।
हम में से बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि किसी भी हालत में एंटीबायोटिक्स लेना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इस जागरूकता को बढ़ाने के लिए हर साल 18 से 24 नवंबर तक विश्व स्तर पर विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है। इस अभियान का उद्देश्य लोगों में एंटी-माइक्रोबियल दवाओं (Antimicrobial Medicines) के बारे में जागरूकता फैलाना है। आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण विषय की कुछ महत्वपूर्ण बातें-
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मई 2015 में अड़सठवीं विश्व स्वास्थ्य सभा ने एंटीबायोटिक दवाओं और अन्य एंटी-माइक्रोबियल दवाओं (Antimicrobial Medicines) के प्रतिरोध की बढ़ती समस्या को दूर करने के लिए एक वैश्विक कार्य योजना का प्रस्ताव दिया। इस योजना का उद्देश्य लोगों को एएमआर (माइक्रोबियल रेजिस्टेंस) के बारे में जागरूक करना था। बता दें कि विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह 2022 एक वैश्विक स्तर का अभियान है, इस अभियान का उद्देश्य लोगों में एएमआर के बारे में जागरूकता फैलाना है। एंटी-माइक्रोबियल अवेयरनेस वीक (विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह 2022) की इस साल की थीम “रोकथाम एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस टुगेदर” रखी गई है।